
भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण वर्ष एवं अहिंसा विश्व भारती संस्था के स्थापना दिवस पर उत्तराखंड राजभवन में भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ
भगवान महावीर के दर्शन से अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव – उत्तराखंड राज्यपाल
भारत का पहला विश्व शांति केंद्र महावीर के सिद्धांतों पर आधारित – आचार्य लोकेश
भारतीय संस्कृति में ‘वासुधैव कुटुंबकम’ का संदेश पूरी दुनिया को दिया – आचार्य बाल कृष्ण
महावीर की शिक्षाओं से विश्व में शांति सद्भावना संभव – दीपंकर सुमेधो
देहरादून /नई दिल्ली, 9 जुलाई 2024 : भगवान महावीर के 2550 निर्वाण वर्ष एवं अहिंसा विश्व भारती संस्था के स्थापना दिवस पर उत्तराखंड राज भवन में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘भारतीय संस्कृति एवं महावीर दर्शन में वैश्विक समस्याओं का समाधान’ | संगोष्ठी में उत्तराखंड के राज्यपाल माननीय लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह जी, अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश जी, पतंजलि योगपीठ के सह संस्थापक पूज्य आचार्य बाल कृष्ण जी, बुद्धिस्ट कल्चरल फ़ाउंडेशन के चेयरमैन दीपांकर सुमेधों जी, अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार अजय भूतोरिया जी, अमेरिका में भारतीय समुदाय के नेता राश्मिकान्त कामदार जी, वीर चक्र विजेता कर्नल टी. पी. त्यागी जी सहित विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज उपस्थित रहे |
माननीय राज्यपाल गुरमीत सिंह जी ने सम्पूर्ण जैन समाज एवं अहिंसा विश्व भारती के कार्यकर्ताओं को शुभकामनायें देते हुये कहा कि भगवान महावीर शिक्षाएं तत्कालीन समय में जितनी उपयोगी थी उससे अधिक मौजूदा समय में प्रासंगिक हैं | उनके अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह दर्शन में अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है | मुझे इस बात की खुशी है कि भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलते हुये विश्व शांति दूत आचार्य लोकेश जी पूरी दुनियाँ में उनकी शिक्षाओं और भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए निरंतर प्रयत्न कर रहे है | इसी क्रम में इस वर्ष कनाडा और ब्रिटेन की पार्लियामेंट एवं केलिफोर्निया की असेंबली में आचार्य लोकेश जी की उपस्थिती में भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण वर्ष के कार्यक्रम आयोजित हुये | यह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों एवं जीवन पद्धति के प्रति विश्व में स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है | इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्व शांति केंद्र की परिचय पुस्तिका का लोकार्पण किया एवं आचार्य लोकशजी, आचार्य बाल कृष्ण जी, भंते दिपांकर सुमेधो, श्री अजय भूतोडिया, श्री रश्मिकांत कामदार का शाल ओढ़ाकर अभिनंदन किया।
विश्व शांतिदूत जैन आचार्य लोकेश जी ने कहा कि भगवान महावीर ने आज से हजारों वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने षट्जीविकाय का सिद्धान्त दिया जो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण ह्रास की समस्याओं का समाधान कर सकता है, पीस एजुकेशन जैसे कार्यक्रमों से हिंसा के मूल कारण को खत्म किया जा सकता है | उन्होने कहा कि भारत का पहला विश्व शांति केंद्र भगवान महावीर के सिद्धांतों पर आधारित होगा | आचार्य बाल कृष्ण जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ‘वासुधैव कुटुंबकम’ एवं ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु: निरामया’ का संदेश पूरी दुनिया को दिया | किसी के लिए कोई देश एक बाज़ार हो सकता है पर भारत के लिए विश्व एक परिवार है | जो संदेश भारत भूमि के महापुरुषों ने दिया आज उस संदेश की पूरी दुनिया को आवश्यकता है क्योंकि युद्ध, हिंसा या कलह के रास्ते से हम शांत और सुखी जीवन नहीं जी सकते है| बौद्ध भिक्षु दीपांकर सुमेधों जी ने कहा कि अहिंसा, दया, करुणा, मानवता, के मूल्यों को अपनाने की, उनको अपने जीवन में उतारने की और क्रियान्वित करने की आवश्यकता है | महावीर कि शिक्षाओं से ही विश्व में शांति सद्भावना संभव है | अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार श्री अजय भूतोरिया ने कहा कि अहिंसा विश्व भारती द्वारा स्थापित भारत का प्रथम विश्व शांति केंद्र का उदघाटन इस वर्ष हो जाएगा | विश्व शांति केंद्र में भारतीय संस्कृति और आधुनिक सुविधाओं का संगम होगा वहाँ से शांति शिक्षा एवं प्रशिक्षण, ध्यान एवं योग के माध्यम से व्यक्तित्व निर्माण, महिला सशक्तिकरण, बच्चों व युवाओं का संस्कार निर्माण, पर्यावरण संरक्षण आदि भारतीय संस्कृति एवं जैन जीवन शैली पर आधारित कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे |
कार्यक्रम समन्वयक श्री सतीश अग्रवाल एवं श्री संजय मित्तल ने माननीय राज्यपाल का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया एवं भारी संख्या मे उपस्थित श्रद्धालुओं का भी स्वागत किया | कार्यक्रम का संचालन कर्नल टी. पी. त्यागी एवं केनु अग्रवाल ने किया, धन्यवाद ज्ञापन सुश्री तरकेशवरी मिश्रा ने किया, कार्यक्रम के सफल आयोजन में, श्री अतुल जैन श्री प्रेम प्रकाश गुप्ता, श्री विनीत शर्मा ने पूर्ण सहयोग दिया
भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण वर्ष एवं अहिंसा विश्व भारती संस्था के स्थापना दिवस पर उत्तराखंड राजभवन में भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ